बड़का भूत (Badka Bhoot)

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बड़का भूत (Badka Bhoot) Horror Story: यह कहानी मेरे एक अंकल की है, जिनका एक बार एक तूफानी रात में एक बड़का भूत से सामना हुआ था। मेरे चाचा एक दर्जी है और उनकी दुकान हमारे घर के सामने ही है। वैसे वो तो अब सिलाई नहीं करते। यह कहानी तब कि है जब वो सिलाई करते थे। उनकी दुकान पर एक अंकल काम करते थे जिनका नाम जोधराज था वो वहां पार्ट टाईम जॉब करते थे।

वो अंकल हमारे गाँव के नहीं थे, बल्कि वो हमारे ही पास के एक गाँव से आते थे। चूँकि उनका गाँव इतना संपन्न नहीं था और वो हमारे पास ही के जिले में एक विश्वविद्यालय मे पड़ते थे। वह अपने खाली समय में हमारे ही गांव मे दर्जी का काम करते थे क्योंकि एक तो उनके गाँव में इतनी अच्छी व्यवस्था नहीं थी अर्थात नौकरी की और दूसरा इससे वो अपनी पढ़ाई के लिए भी थोड़े पैसे कमा लेते थे।

उनको हमारे गाँव से अपने गाँव जाने में लगभग पैतालिस मिनट का समय लगता था और वो अपने गाँव पहुंचने के लिए सड़क से जाते थे।

यह कहानी उन्होने ही मुझे सुनाई थी कि…

एक बार हमारे यहाँ बहुत तेज तूफान आया था और उसके साथ रह-रहकर बारिश भी हो रही थी। आसमान में बिजली भी कड़क रही थी। उस दिन तूफान थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। चूँकि अंकल शाम के समय अपने घर जाते थे पर उस दिन तूफान के कारण उन्होने सोचा कि थोड़ी देर बाद जब यह शांत हो जायेगा तब अपने घर चला जाऊंगा। पर तूफान नहीं रुका। मेरे चाचा उनसे बोले कि जोधराज आज यही रुकजा तूफान बहुत तेज है। आज यही दुकान में सो जा। कल अपने घर चले जाना। 

पर उन्होने कहा कि नहीं भाईसाहब मैं चला जाऊंगा इतना भी तेज नहीं है तूफान और घर में मम्मी-पापा भी परेशान होंगे। 

चाचा बोले कि ठीक है पर अगर रुकना हो तो रुक जाना।
….पर जोधराज अंकल अपने घर के लिए निकल गये…. 

उनके निकलते ही तूफान और तेज हो गया और बहुत तेज पर रुक रुककर  बरसात  भी हो रही थी। कही दूर जंगल में सियारों की आवाजें आ रही थी। 

अंकल एक स्थान पर जाकर रुके। वहां पर दो रास्ते थे, दोनों ही गाँव को जाते थे। पर सड़क वाला रास्ता थोड़ा लम्बा था लेकिन जंगल वाले रास्ते जल्दी गाँव पहुँच जाऊँगा यही सोच कर उन्होने जंगल वाला रास्ता पकड़ लिया। उनके पास एक टार्च थी जो भी मर-मरके ही रोशनी दे रही थी। पर आसमान में कड़क रही बिजली के बदोलत ही रास्ता दिखाई दे रहा था। चलते-चलते वे यही सोच रहे थे कि आज  रास्ता ख़त्म होने का नाम क्यू नहीं ले रहा है?

वो चल ही रहे थे कि तभी उन्हें रास्ते मे एक आदमी दिखाई दिया। उन्होने सोचा कि जरूर गाँव में जा रहा होगा। चलो सफर का साथी तो मिला। पूछता हूँ।

इतना सोचकर वे उसके पीछे जाने लगे। उन्होंने गौर किया कि वह आदमी एक पैर से लंगड़ा के चल रहा था साथ ही में उसका सर रास्ते के बाई ओर जंगल के पेड़ो की तरफ़ था और उसकी गर्दन नीचे की ओर झुकी थी। उसको एक विचित्र आदमी कहना ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि उसकी हरकतें किसी भी तरीके से सामान्य इंसान से नहीं मिल रही थी।

यह सब अंकल ने उसके व्यवहार में पाया। अंकल उसके पीछे-पीछे चल रहे थे और उसे कड़कती बिजली के माध्यम से ही समझ पा रहे थे। उन्हें जिज्ञासा हुई कि यह आखिर कौन है? शायद गाँव से ही तो नहीं। चल के देखा जाए। उन्होने अपनी टार्च चालू की ताकि उसका चेहरा देख सके। वे जेसे ही उसके पास गये और उससे पलटने को कहा वैसे ही उनकी टार्च बंद हो गयी और एकदम से बिजली कड़क उठी। बिजली की रोशनी में उन्होने उसका चेहरा देखा और वे एक दम से दूर जा गिरे। उनका शरीर मानो लकवाग्रस्त हो गया हो।

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उन्होनें देखा कि अब तक जिसे वो गाँव का ही कोई आदमी समझ रहे थे वो उनका भ्रम था क्यूँकि यह तो कुछ ओर ही था।

उसकी आँखों की जगहें दो बड़े-बड़े छेद मानो जेसे किसी ने दोनों आँखो को निकाल के बड़ा सा छेद कर दिया हो। उसका जबड़ा अपनी जगह से अलग होके एक तरफ लटक रहा था। उसमे से दांत साफ़ दिखाई दे रहे थे। पर दाँत भी ऐसे थे कि काट ले तो सारा शरीर का मांस एक पल में निकाल दे।

ये तो एक बड़का है पर यह कैसे यह सब तो बकवासे होती थी पर…

धीरे-धीरे वो उनकी तरफ ही बढ़ रहा था। हर पल बिजली कड़कती और वह और उनके पास आ रहा था। अंकल का हाल खराब था और उनकी जीभ हलक मे अटक गयी। वह एक दम ज़ोर से आगे बढ़ता है और अंकल के बिल्कुल पास से आके गायब हो जाता है।

अंकल थोड़ी देर बेसुध इधर-उधर देखते रहे और थोडी देर बाद उठे और तेजी से अपने गाँव की तरफ भागे। वो इतना तेज भागे की अपने घर जाके रुके और हाफते-हाफते ही बेहोश हो गए।

सुबह जब उनकी आँख खुली तो वे एकदम से चीखे बड़का बड़का बड़……

(बड़का वे भूत होते है जो जंगल मे रहते है और किसी जोम्बी की तरह चलते है। एक बार कोई इन्हें देखले तो ये उसे जिंदा नहीं छोड़ते है। ये अपने को देखने वाले के शरीर को चीर-फाड़ कर रख देते है और उसे हड्डी सहित खा जाते है।)

यह बात उन्होंने मुझे बताई तो मैं भी बहुत डर गया था। उसके बाद उन्होंने कभी भी उस जंगल का रास्ता नही चूना और अब वो उस गाँव में भी नहीं रहते है क्यूँकि उनकी एक बहुत अच्छी जॉब लग गयी है।

उस दिन जोधराज अंकल कैसे जिंदा बचे ये तो वो भी नहीं जानते है पर शायद उन्हे उनके कुल देवता ने ही बचाया है। क्योंकि वे हमेशा ही अपने पास उनकी माला रखते है।

So I hope Guys आपको यह Horror Story अच्छी लगी होगी।

पढ़ने के लिए धन्यवाद।


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