दादी की खौफनाक कोठरी (Dadi Ki Khofnak Kothari) Horror Story: यह बात तब की है जब मैं बड़ा हो गया था । मेरी दादी उसी बिल्डिंग में रहती थी जहां मैं और मेरा परिवार रहता था ।
यह एक पुरानी बिल्डिंग थी। इसमें कुल 12 अपार्टमेंट थे।
वे मकान नंबर 1268 में रहती थी और हम 1265 में रहते थे। मेरे जन्म के पहले से ही दादी अकेली रहती थी।
उनके कमरे की तरफ एक काली अंधेरी कोठरी थी। इसमें हर महीने एक अप्रिय घटना होती थी।
महीने में एक बार मेरी दादी मेरी मां को ऊपर ले जाकर उनकी अलमारी ठीक करने के लिए कहती थी । वह बताती है कि पिछली रात उनकी अलमारी में बहुत ज्यादा शोर सुनाई दिया।
एक बार मेरी मां काम कर रही थी तो उन्होंने मुझे उनकी मदद करने के लिए बुलाया। तो मै उनकी मदद करने उनके कमरे मे गया।
मुझे नहीं पता था कि यह मेरे जीवन के परेशान करने वाले अनुभवों की एक शुरुआत होगी।
जैसे ही मैंने दादी के कमरे में प्रवेश किया तो मैं वहां का हाल देखकर दंग रह गया। ऐसा लग रहा था कि मानो किसी ने पूरी अलमारी ही उथल पुथल कर दी हो । उनके सारे कपड़े, समान अलमारी से नीचे बिखरे पड़े थे।
ऐसा लग रहा था कि पिछली रात दादी के कमरे में कोई तूफान आया हो जो पूरी बिल्डिंग को छोड़कर उनके ही कमरे में आया हो।
मैंने दादी से पूछा तो उन्होंने बताया यह पिछले 20 वर्षों से यह हो रहा है। मैने उस समय इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अलमारी को साफ सुथरा करके चला गया।
इसके 2 साल बाद मेरे दादी का अचानक निधन हो गया।
इसके कुछ समय पहले ही दादी ने पैसे बचाने और सहायता पाने के लिए हमारे साथ रहने का फैसला किया।
इसके कुछ समय बाद एक दिन पिताजी ने मुझे दादी के कमरे से कुछ कागजात लाने को कहा। तब मैं उदास मन से दादी के कमरे मे ऊपर गया ।
जब मैं उस कमरे के पास से गुजरा तो मुझे लगा जैसे जोर-जोर से कोई उस अलमारी से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है और जोर जोर से आवाज आ रही थी।
इन सबको नजर अंदाज करते हुए मैं आगे बढ़ा और कमरे से कागजात उठाएं और वापस मुडा तो देखा कि दरवाजा अचानक से बंद हो गया था और मैं अंदर फस गया था।
मैंने दरवाजे को घबराहट में खोलने की कोशिश की तो देखा दरवाजा दूसरी तरफ से बंद था।
मेरी किस्मत अच्छी थी कि थोड़ा कोशिश करने के बाद दरवाजा खुल गया और मैं जल्दी से उस कमरे से बाहर आ गया।
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जब मैं उस कमरे से बाहर आया तो देखा कि वहां कोई जोरदार धमाका हुआ और सब कुछ जोर-जोर से हिल रहा था जैसे कि विस्फोट होने वाला है । यह सब देखकर में म बहुत डर गया। फिर मैं वहां से भागकर नीचे की ओर जाने लगा।
डर के मारे परेशान होकर मैं नीचे आया और जोर-जोर से बोलने लगा कि उसे भूल जाओ। वहां कोई मत जाना वरना मारे जाओगे ।
पता नहीं वो क्या-क्या हो रहा था। दादी के कमरे में ऐसी घटनाएं देखकर मै डर गया था और आगे मैं इन सब में कोई हिस्सा नहीं लेना चाहता था।
उस दिन मैं इस घटना से इतना डर गया था कि मैंने दो दिन तक कुछ खाना नहीं खाया था गुमसुम सा बैठा रहा। यह सब देखकर मेरे माता-पिता बहुत दुखी हो गए थे।
वे मुझे किसी तरह यह हादसा भुलाने की कोशिश कर रहे थे। और मुझे वह सब बार-बार याद आ रहा था। थोड़े समय के बाद मैंने अपने आप को संभाला और इससे उभरने की कोशिश करने लगा।
उसके बाद से हमने कभी उस घटना का जिक्र नहीं किया और जब भी कभी उस कमरे में कोई काम होता था तो पापा खुद कर लेते थे। मुझे वहां पर जाने के लिए नहीं कहते थे।
हम अपने जीवन में आगे बढ़ने लगे थे। और हमारे सामने आए परेशान करने वाले अनुभवों को भूलने की कोशिश कर रहे थे।
मुझे भी इस बात का आश्चर्य है कि दादी के कमरे में उन गड़बड़ियों के पीछे क्या कारण था। और क्या वहां इससे भी अधिक भयानक कुछ चल रहा था।
जब भी मैं इन सब चीजों के बारे में सोचता हूं तो मुझे वह सब याद आ जाता है और मैं उदास हो जाता हूं। कभी-कभी तो बहुत ज्यादा डर लगता है। परंतु वो कहते है ना की समय के साथ-साथ हर घाव भर जाते है।
So I hope Guys आपको यह Horror Story अच्छी लगी होगी।
पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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