एक डरावनी कब्र (Ek Darawani Kabra)

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एक डरावनी कब्र (Ek Darawani Kabra) Horror Story: इस कहानी में, आपको पढ़ने को मिलेगा एक लड़के की आत्मा के बारे में जो एक इत्र बनाने की फैक्ट्री में काम करता था और कैसे उसकी आत्मा एक जय नाम के लड़के के पीछे लग जाती है।

अक्सर जब भी मैं अपनी स्कूल बस से स्कूल जाता था, हमारी बस बच्चों को लेकर एक पुराने जंगल के रास्ते से गुजरती थी। वैसे तो यही हमारा रोज़मर्रा का रास्ता था। तब मैं बहुत छोटा था, पर मुझे आज भी याद है, जब हमारी बस उस टूटे हुए रास्ते से गुजरती थी, मेरी निगाहें एक पेड़ के नीचे बनी कब्र पर पड़ती थीं। मैं हमेशा उस कब्र को देखकर सोचता कि यह कब्र किसकी होगी? पर कभी जान नहीं पाता। एक दिन मुझे पता नहीं क्या सूझा, मैंने सोचा कि क्यों न मैं इस पुरानी कब्र के पास जाकर देखूँ, शायद मेरी जिज्ञासा शांत हो जाए। फिर एक दिन…

शाम को मैं उसी रास्ते से गुजर रहा था। मैंने अपनी साइकिल को एक किनारे पर लगाया और उस कब्र के पास गया। कब्र कोई ज़्यादा पुरानी नहीं थी। उसके आसपास सूखे पत्ते बिखरे हुए थे। मैंने नाम पढ़ने की कोशिश की पर वह मटमैला होने के कारण पढ़ नहीं सका। मैं वहीं कुछ देर तक बैठा रहा। जब मैं वहाँ से उठकर चलने लगा, तो मैंने एक अजीब-से मदहोश करने वाले इत्र की खुशबू सूँघी, जो कि अजीब बात थी, क्योंकि वहाँ पर कोई भी मौजूद नहीं था।

घर वापसी

उसी शाम को, जब मैं घर लौटकर आया, तो माँ ने मुझसे पूछा, “तू बाहर गया था? बताकर तो जाना चाहिए।”

मैंने अपनी माँ की ओर देखा और चुपचाप अपने कमरे में चला गया।

पता नहीं मुझे क्या हो रहा था। मेरे अंदर विद्रोह के, गुस्से के, और अजीब से विचार घूमने लगे थे। मानो मैं अपने आप से अपना काबू खोता जा रहा था। माँ ने मुझे खाने के लिए भी कहा था, पर मैंने यह कहकर मना कर दिया था, “मेरा मूड नहीं है।”

“हाँ, इसलिए कहती हूँ, बाहर कुछ भी नहीं खाया कर। अब जल्दी सो जाना, सुबह जल्दी भी तो उठना है।”

पापा ने कहा, “क्यों, कल क्या है?”

“कल स्कूल नहीं जाना है इसे? आपको तो कुछ पता ही नहीं रहता है।”

इन्हीं सब बातों को अपने दिमाग में सोचते हुए मैंने सो जाना ही सही समझा। रात के दस बजे होंगे। मानो मेरा शरीर बहुत भारी होने लगा। मुझे चक्कर आने लगे, जी मचलने लगा। शरीर इस तरह से हावी होने लगा, मानो किसी ने मुझे जकड़ लिया हो। पूरा शरीर पसीने में भीगने लगा। आश्चर्य इस बात का था कि पंखा अपनी गति से ही चल रहा था। मैंने अपना नियंत्रण खो दिया। मैं बेकाबू-सा होने लगा। मेरे अंदर इतनी भी ताकत नहीं रही कि मैं अपनी मदद के लिए घर में किसी को आवाज़ तक लगा पाऊँ।

रात का रहस्य

मैं जल्दी से अपने बिस्तर से उठा और घर के मुख्य द्वार की ओर दौड़ा। मानो वह बिस्तर मेरे लिए एक मृत्युशैया हो। साथ ही चीखते और बड़बड़ाते हुए मैं बाहर गया और आसमान को देखकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा। चाँद जो कि काले बादलों में छिपा हुआ था, उसके प्रकट होते ही मैं ज़ोर से चीखने लगा। मेरी चीख इतनी भयानक और डरावनी थी। इसकी गूँज से मेरे घर वाले बाहर आए। बाहर आते हुए उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई, “जय, यह सब क्या है? तू इतनी रात को यहाँ क्या कर रहा है?”

मैं अपना आपा खो चुका था। मैंने बड़ी-बड़ी आँखों से अपनी माँ की ओर देखा। यह पहली बार था कि मैंने उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया।

जल्दी ही पिताजी बाहर आए, उन्होंने मेरी ओर देखा और पूछा, “जफर, तू यहाँ क्या कर रहा है?”

मेरी माँ को यह सब कुछ बड़ा अजीब लग रहा था। वे किसी भी जफर नाम से परिचित नहीं थी। मैंने पिताजी की आँखों में देखा और (पूछा), “तू जानता है मुझे?”

और मैं तेज़ी से दौड़कर वापस अपने कमरे में आकर अंधेरे में एक कोने में दुबक कर बैठ जाता हूँ, जैसे किसी से बचने की कोशिश कर रहा था।

बाबा और इत्र

खैर, इसके बाद मैं अपने कमरे के एक कोने में सोता रहा। जब मैंने बाहर जाने के लिए अपने कमरे के दरवाज़े को खोलने की कोशिश की तो पाया कि वह बाहर से बंद था। थोड़ी देर कोशिश के बाद मैं चिल्लाने लगा, “मुझे बाहर निकालो!” पर काफी कोशिश के बाद भी वहाँ कोई नहीं आया।

करीब दोपहर तक मैं उसी कमरे में बंद रहा, फिर कुछ लोगों की बातें और उनके कदमों की आहट को मैंने अपनी ओर आते हुए सुना।

थोड़ी देर के बाद उन सभी लोगों ने मेरे कमरे के दरवाज़े को एक साथ खोला। उनमें सभी एक फकीर बाबा के साथ थे। मेरे पिताजी भी उनके साथ थे। वे सभी मेरी ओर तेज़ी से बढ़े और उन्होंने मेरे हाथ-पाँव को कसकर पकड़ लिया। कुछ देर तक मैं झटपटाता रहा। बाबा ने मेरे गले में एक तावीज़ डाला, जिसके बाद उन्होंने मेरे ऊपर एक इत्र को डाला, जिसकी महक मुझे जानी पहचानी लग रही थी।

अब मैं सुरक्षित था। एक दिन मैं अपने पिताजी के साथ बैठकर खाना खा रहा था। मैंने उस इत्र के बारे में पूछा, “पापा, वह इत्र कौन-सा था? मुझे उसकी महक जानी पहचानी लगी थी।”

पहले तो वे कुछ बताना नहीं चाहते थे। पर उन्होंने कहा, “जय, बात यह है कि जफर नाम का एक लड़का था। वह एक इत्र बनाने वाली कंपनी में काम करता था। काफी सही स्वभाव था उसका, पर एक दिन उस इत्र बनाने वाली फैक्ट्री में आग लग गई। जफर भी उसमें मारा गया था। पर अक्सर उसे उस कब्र के पास जाने वाले को वैसी ही महक मिलती है, जैसी तुमने महसूस की थी। हो सकता है, यह उसके साथ आने का तरीका हो।”

“और हाँ, तुम अब इस तावीज़ को अपने पास ही रखना। उस कब्र से भी दूर ही रहना।”

इसके बाद मैं कभी उस कब्र के पास नहीं भटका, ना ही वहाँ जाने की हिम्मत हो पाती है।

So I hope Guys आपको यह Horror Story अच्छी लगी होगी।

पढ़ने के लिए धन्यवाद।


Author: Digvijay Singh Rathore

Writer’s X/Twitter: x.com/Digvijay32815

Editor & Proof Reader: Vishal Suman


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