राख (Raakh)

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राख (Raakh)

राख (Raakh) Horror Story: ब्रह्मपुत्र नदी असम की एक बहुत लम्बी और पवित्र नदी है। ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित शहरों में गुहाटी, तेजपुर और डिब्रूगढ़ है। इस नदी में लोग अस्थि विसर्जन करने आते हैं। लोगों का मानना है कि इसके पवित्र जल से आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

उसी नदी में मोहन नामका 15 साल का युवक तैरने आया करता था। मोहन अपनी तैरने की गति से ब्रह्मपुत्र नदी को 20 मिनटों में ही पार कर लेता। उसकी यही खूबी डिब्रूगढ गाँव के लिए गर्व और उसकी माँ के लिए चिंता का विषय था। कई बार मना करने के बावजूद मोहन ब्रह्मपुत्र में नदी तैरने जाया करता। मोहन अपनी माँ के साथ डिब्रूगढ़ गाँव में रहता था। उसके पिता बचपन में ही गुजर गए थे और उसकी माँ कपड़े सिलकर घर चलाती थी।

एक दिन, दत्ता परिवार अपने मृत बेटे रवि की अस्थियाँ ब्रह्मपुत्र नदी में बहाने आये। उसी वक़्त मोहन भी तैरने कूदा और नदी में प्रवाहित रवि की अस्थियाँ जल में बहते-बहते, मोहन के शरीर पर लग गयी। इस बात से अनजान, जब मोहन नदी से बाहर आया, तो उसने अपने शरीर पर जगह-जगह राख देखी, जैसे उसने राख से स्नान किया हो।

मोहन ने फिर से नदी में कूद के अपने शरीर से राख धो डाली। पर सिर्फ राख धो देने से मुसीबत ख़तम नहीं होती। इस बात से मोहन अनजान था और कपड़े पहनकर वापस घर चला गया।

रात के 1 बजे अचानक मोहन चिल्लाने लगा “मुझे इन्साफ चाहिए, वरना किसी के लिए ठीक नहीं होगा।” मोहन की आवाज़ सुनते ही उसकी माँ फ़ौरन उठके उसके पास गयी तो उसने अपनी माँ को ज़ोर से धक्का दिया और गुस्से से गुर्राते हुए बोला “ऐ बुढ़िया, चल मुझे मेरे घर छोड़के आ। मेरा घर गुहाटी में है।”

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मोहन का ऐसा हाल देख उसकी माँ बहुत डर गयी थी। उसी वक़्त उन्होंने पड़ोस के लोगों को अपने घर में इक्कठा किया। पड़ोसियों ने मोहन की हालत देख के कहा “जरूर इसको किसी की नज़र लग गयी है, क्यूंकि यही गाँव में तेजी से ब्रह्मपुत्र जैसी नदी पार कर सकता है। मोहन को कल हम कामाख्या मंदिर ले चलेंगे, क्यूंकि वहां हर बाधा से छुटकारा मिलता है।”

कामाख्या मंदिर असम की पहाड़ी पर स्तिथ है और 51 शक्ति पीठों में से एक महा पीठ है। यह मंदिर अघोरी, साधू और तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है। रहस्यों से परिपूर्ण यह मंदिर चमत्कारों का क्षेत्र है। यहाँ मन्नत पूरी होने पर बलि भी दी जाती है और हर तरह की काली शक्तियों से निवारण मिलता है।

अगले दिन जब मोहन की माँ और पड़ोस के लोग मोहन को कामाख्या मंदिर ले गए तो वहाँ पहुँच कर असली वजह सामने आयी। मंदिर की चौखट पे पैर रखते ही मोहन झटके से दूर हुआ। फिर वो ज़ोर-जोरसे चिल्लाते हुए भयानक हरकतें करने लगा, जैसे मंदिर के पास के पेड़ पर उल्टा लटकना, लोगों को पत्थर मारना और अपने शरीर को नाखूनों से नोचना। इतने में वहाँ एक साधू आ गये और उन्होने मोहन को देखते ही कहा “इस लड़के पर बुरी आत्मा ने कब्ज़ा कर लिया है और अब वो इसके शरीर में प्रवेश कर चुकी है। अगर इसका निवारण ना किया तो मोहन की जान भी जा सकती है।”

मोहन की माँ ने कहा “साधु महाराज, आप जैसे ठीक समझें वो करें बस मोहन ठीक हो जाये। मेरे जीने का एकमात्र सहारा अब मोहन ही है।”

साधु ने मोहन के सर पर हाथ रख के उसे शांत किया। फिर मोहन ने कहा “मुझे इन्साफ चाहिए।” साधू ने पूछा कौन है तू और इस बच्चे से क्या चाहता है?” मोहन ने जवाब दिया “मैं रवि हूँ, उस दिन जब मेरा परिवार मेरी अस्थियाँ बहाने ब्रह्मपुत्र नदी में आया, तो उसी नदी में मोहन तैर रहा था। मैंने उसी वक़्त इसके शरीर में प्रवेश कर लिया, क्यूंकि यही लड़का मुझे इन्साफ दिला सकता था।”

साधू ने अपने मंत्र शक्तियों से रवि की आत्मा को मोहन से अलग किया और रवि की आत्मा पर गंगाजल छिड़का। रवि की आत्मा गायब हो गयी और मोहन यह सब देख वहीँ बेहोश हो गया। साधू ने अपनी सिद्धियों से इस घटना का पता लगाया और मोहन की माँ से कहा “जब किसी का अस्थि विसर्जन हो रहा हो, तो राख में आत्मा का वास होता है। मोहन से यही गलती हुई। जब रवि का अस्थि विसर्जन हो रहा था, तब मोहन उसी वक़्त ब्रह्मपुत्र नदी में तैर रहा था और रवि की राख मोहन के शरीर पर लग गयी और इस तरह रवि को मोहन के शरीर में प्रवेश करने मिल गया।” यह सुनकर वहाँ मौजूद सब लोग हैरान हो गए और मोहन की माँ ने मोहन को कामाख्या देवी का आशीर्वाद दिलाया।

असम के भूतिया रहस्यों से शायद लोग अनजान हों पर कामाख्या देवी मंदिर के रहस्य जानने में आज भी लोग नाकाम हैं। वैज्ञानिक भी इस मंदिर के रहस्यों का पता नहीं लगा पाए। हम इंसान यह भूल जाते हैं कि कुदरत के कई ऐसे रहस्य हैं जिन्हें जानने की कोशिश हमें नहीं करनी चाहिए। कई बार रहस्यों के खुलने में बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ती है और अनजाने में हम दैविक शक्तियों को चुनौती दे बैठते हैं।

So I hope Guys आपको यह Horror Story अच्छी लगी होगी।

पढ़ने के लिए धन्यवाद।


Author: Manpreet Kaur

Writer’s Linkedin: Manpreet Kaur

Writer’s Email: [email protected]

Editor & Proof Reader: Vishal Suman


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